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सादगी का महत्व (न्याय मूर्ति रानाडे )

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जीवन में सादगी का तात्पर्य है कि हमारा खान पान रहन सहन सभी कुछ साधारण हो. हमारी आवश्यकताऐ सीमित हो. हम आवश्यकता से अधिक धन संग्रह कभी ना करें. हम कम वस्तुओं मे जीने की कला सीखें, ताकि सदा एक जैसा जीवन बीते. न  सुख में इतराye बावजूद हमारे विचार ऊंचे हो। हमे सदा दूसरों के प्रति स्नेह और सदभाव रखना,उनकी भालाई व साहायता करना तथा निर्भिमानी होना चाहिए।सदा जीवन उच्च विचार के पालन से मनुष्य अपने साथ समाज को भी सुखी रखता है। सदा जीवन, उच्च विचार जीवन जीने की सर्वोत्तम विधी है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए है, उनका रहन सहन एकदम साधारण रहा। उन्होंने सांसारिक सुखों से स्वयं को सदैव दूर रखा। हमारे महापुरुषों में से महादेव गोविंद रानाडे एक है।बात उन दिनों की है जब वे विद्यार्थी थे। उनके मकान के ठीक आगे एक अमीर स्त्री रहती थी। उसने सुख काल में खूब मौज किया और धन की बर्बादी भी की। कुछ दिन बाद वह गरीब हो गई। उसे खूब कष्ट होने लगा।फलत: वह रोज अपने आप को धिक्कारती और स्वयं पर क्रोध करती। वह खीझकर कर कहती   "स्वादिष्ट पदार्थ खाते खाते जीभ की आदत बिगड़ गई है,अब तो सुखी रोटी भी नहीं मिलती। हाय! मैं