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लातेहार( प्रकृति की हृदय स्थली)

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                            लातेहार        स्थापन वर्ष               -  4 अप्रैल 2001 ई. मुख्यालय                 -लातेहार समुद्र तल से ऊंचाई   - 387 मीटर(1270 फिट) कुल क्षेत्रफल            -  3622 वर्ग किलोमीटर पुरुष जनसंख्या        - 369666 महिला जनसंख्या      - 357312 नगरीय आबादी         -51858 नगरीय आबादी का प्रतिशत   -7.13 ग्रामीण आबादी     - 675120 ग्रामीण आबादी का प्रतिशत  - 92.87  वाहन निबंधन संख्या   - JH-19 अनुमंडलों की संख्या      - 2(लातेहार, महुआडांड़) प्रखंडों की संख्या   - 10(बरवाडीह,गारू,         महुआडांड़,मनिका, लातेहार, बालूमाथ, बारियातू, हेरहंज,चंदवा,सरजू) विधानसभा क्षेत्रों की संख्या    - 2 ( लातेहार, मनिका) लोकसभा संसदीय क्षेत्र   - 1( चतरा) प्रमुख नदियां   - औरंगा,उतरी कोयल ऐतिहासिक स्मारक  -  पलामू किला, रानी का किला पयर्टन स्थल      - बेतला नेशनल पार्क, पलामू टाईगर प्रोजेक्ट,सुगवा फांल,मिरच‌इया फाॅल,घघरी फाॅल, महुआडांड़ भेड़िया अभ्यारण्य, नेतरहाट आवासीय विद्यालय, मंडल डैम,केचकी पिकनिक स्पॉट. जलकुंड        - तातपानी का गर्म जलकुंड प्रमुख जनजातियां    - चेरो ,खरवा

खूंटी (लाह नगरी)

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 लाह नगरी, भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि (खूंटी) पंचघाग झरना                                   बिरसा मृग विहार पैरवा घाघ       बिरसा पार्क स्थापना वर्ष             12 सितंंबर 2007 मुख्यालय               खूूंटी कुल क्षेत्रफल           2611 वर्ग किलोंमीटर कुल जनसंंख्या            531885 वाहन निबंधन संख्या       JH-23 अनुमंडलों की संख्या        1(खूूंटी) वर्तमान समय में प्रखंडोंं की संख्या       6                                                                         विधानसभा क्षेत्रों की संख्या     2( तोरपा,खूंटी)    पर्यटन स्थल         पंचघाघ जलप्रपात,बिरसा मृग विहार, पेरवा घाघ जलप्रपात। महत्वपूर्ण तथ्य : 12 सितंबर 2007 ईस्वी को रांची से अलग होकर खुंटी झारखंड के 23वें जिले के रूप में अस्तित्व में आया। खूंटी का नामकरण महाभारत की कुंती के नाम पर किया गया है। कुंती जिले की सीमा किसी भी राज्य को स्पर्श नहीं करती। झारखंड में लाह का सर्वाधिक उत्पादन खुंटी जिले में ही होता है। खूंटी जिले का उलीहातू ग्राम बिरसा मुंडा की जन्मभूमि है। खूंटी  में रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है

वर्दान या श्राप

राजा मिदास की कहानी हम सभी लालची राजा मिदास की कहानी जानते हैं। उसके पास सोने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता और अधिक सोना चाहता उसने सोने को खजाने में जमा कर लिया था, और हर रोज उसे गिना करता था, एक दिन जब वह सोना गिन रहा था, तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, "तुम मुझसे ऐसा कोई भी वरदान मांग सकते हो, "जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी दे।" राजा खुश हुआ, और उसने कहा मैं चाहता हूं कि जिस चीज को छूऊं वह सोना बन जाए।" अजनबी ने राजा से पूछा क्या तुम सचमुच में यही चाहते हो?" राजा ने कहा, "हां", तो अजनबी बोला, "कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सुना बना देने की ताकत मिल जाएगी।" राजा ने सोचा कि वह सपना देख रहा होगा यह सच नहीं हो सकता लेकिन अगले दिन जब राजा नींद से उठा तो उसने अपना पलंग छुआ वह और वह सोना बन गया वह वरदान संस्था स्टॉप राजा नहीं जिस चीज को भी छुआ वह सोना बन गई उसने खिड़की के बाहर देखा और अपनी नन्ही बच्ची को खेलते पाया उसने अपनी बिटिया कोई अजूबा दिखाना चाहा और सोचा कि खुश होगी। लेकिन भविष्य में जाने से पह