धनबाद (काले हीरे की नगरी) स्थापना 24 अक्टूबर 1956 ईस्वी अवस्थिति झारखण्ड राज्य के पूर्वी भाग में सीमाएं पूर्व में जामताड़ा,पश्चिम में बोकारो,उत्तर में गिरिडीह, दक्षिण में पश्चिम बंगाल। मुख्यालय धनबाद समुद्रतल से ऊंचाई 222 मीटर कुल क्षेत्रफल कुल जनसंख्या 2089 वर्ग किलोमीटर पुरुष जनसंख्या 1405956 महिला जनसंख्या 1278531 नगरीय आबादी 1560394 नगरीय आबादी का प्रतिशत 58.13 ग्रामीण आबादी का प्रतिसत 41.87 अनुसूचित जनजाति की संख्या...
साल 2022 तक एक तिहाई कर्मचारी घर से करेंगे काम कोरोना महामारी ने वर्क फ्रॉम होम संस्कृति को जन्म दिया है। इसका फायदा दुनिया भर की कंपनियों और कर्मचारियों को हुआ है। रिसर्च फर्म गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार,अगले साल यानी 2022 तक एक तिहाई कर्मचारी घर से ही काम करेंगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 में 51 फीसदी कर्मचारी घर या आउट स्टेशन से काम करेंगे जबकि 2019 में यह आंकड़ा 27 फ़ीसदी ही था।
जीवन में सादगी का तात्पर्य है कि हमारा खान पान रहन सहन सभी कुछ साधारण हो. हमारी आवश्यकताऐ सीमित हो. हम आवश्यकता से अधिक धन संग्रह कभी ना करें. हम कम वस्तुओं मे जीने की कला सीखें, ताकि सदा एक जैसा जीवन बीते. न सुख में इतराye बावजूद हमारे विचार ऊंचे हो। हमे सदा दूसरों के प्रति स्नेह और सदभाव रखना,उनकी भालाई व साहायता करना तथा निर्भिमानी होना चाहिए।सदा जीवन उच्च विचार के पालन से मनुष्य अपने साथ समाज को भी सुखी रखता है। सदा जीवन, उच्च विचार जीवन जीने की सर्वोत्तम विधी है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए है, उनका रहन सहन एकदम साधारण रहा। उन्होंने सांसारिक सुखों से स्वयं को सदैव दूर रखा। हमारे महापुरुषों में से महादेव गोविंद रानाडे एक है।बात उन दिनों की है जब वे विद्यार्थी थे। उनके मकान के ठीक आगे एक अमीर स्त्री रहती थी। उसने सुख काल में खूब मौज किया और धन की बर्बादी भी की। कुछ दिन बाद वह गरीब हो गई। उसे खूब कष्ट होने लगा।फलत: वह रोज अपने आप को धिक्कारती और स्वयं पर क्रोध करती। वह खीझकर कर कहती "स्वादिष्ट पदार्थ खाते खाते जीभ की आदत बिगड़ गई है,अब तो सुखी रोटी भी नहीं मिलती।...
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