दुमका (बाबा बासुकीनाथ की नगरी)
दुमका
स्थापना वर्ष - 1855 ई.
कुल क्षेत्रफल - 3716.02 वर्ग किलोमीटर
कुल जनसंख्या - 1321442
अनुमंडलों की संख्या - 1(दुमका सदर)
प्रखंडों की संख्या - 10
विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 4
लोकसभा संसदीय क्षेत्र - 1
वाहन निबंधन संख्या - JH - 04
दुमका के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: -
प्राचीन इतिहास - इस जिले के प्राचीन निवासी पहाड़िया लोग थे। ग्रीक यात्री मेगास्थनीज ने इन्हें माली नाम से संबोधित किया।
1539 में चौसा के युद्ध के शेरशाह सूरी की जीत के बाद यह क्षेत्र अफ़गानों के कब्जे में आ गया, लेकिन जब हुसैन कुली खान ने बंगाल पर जीत हासिल की तो यह क्षेत्र मुगल सम्राट अकबर के प्रभुत्व में आ गया।
दुमका को भागलपुर संभाग के अंतर्गत 1775 ई. में शामिल किया गया था।
1855 ईस्वी में दुमका को स्वतंत्र जिला बनाया गया तथा 1872 ईसवी में दुमका को संथाल परगना का मुख्यालय बनाया गया। 1983 ईस्वी में दुमका को संथाल परगना का डिविजनल मुख्यालय बनाया गया था तथा 2000 ईस्वी में अलग राज्य निर्माण के पश्चात दुमका झारखंड की उप- राजधानी बन गई।
दुमका शहर में पर्यटन के लिहाज से यहां की खदानें काफी महत्वपूर्ण है, देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग इन खदानों को देखने आते हैं।
दुमका जिले में स्थित बासुकीनाथ (फौजदारी बाबा) एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, यहां हर साल लगने वाले श्रावणी मेले में देश के हर हिस्से से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि वैद्यनाथ धाम देवघर की यात्रा बासुकीनाथ के दर्शन के बिना अधूरी रहती है।
दुमका शहर से सटे मयूराक्षी नदी और हिजला पहाड़ी की तलहटी पर अंग्रेजों के समय से यहां हिजला मेला लगता आ रहा है। हिजला मेला का आयोजन पिछले 127 वर्ष से किया जा रहा है। हिजला मेला का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है , और यह 7 दिनों का होता है। इस मेला को ऐतिहासिक जनजातीय हिजला मेला महोत्सव कहा जाता है। हिजला मेला संथाल परगना का एकमात्र ऐसा मेला है जहां सामाजिक समरसता, संथाली संस्कृति, धार्मिक सद्भावना, मांझी थाना पूजा, नृत्य संगीत, लोक-कला, चित्रकला, शिल्पकला, परंपरागत खेलकूद व कृषि के तरीकों एवं आदिम जनजाति के परंपरागत रीति रिवाजों को एक साथ पर शहजता से देखा जा सकता है।
दुमका के स्थानीय उत्सव इसकी लोक संस्कृति की जान है। वर्ष में यहां पर अनेक उत्सव मनाया जाते हैं, एरोक पूजा प्रमुख है।
मलूटी दुमका जिले के शिकारीपाड़ा अंचल में सूड़ीचुवा पड़ाव से 4 किलोमीटर आगे एक पहाड़ी क्षेत्र का गांव है। मलूटी गांव की एक विशेषता यह भी है कि यह पूरी तरह से शिक्षित गांव है।यहां कभी 108 मंदिर और इतनी ही तलाब थे।
मसानजोर बांध |
मलूटी
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