जानिए गोड्डा के बारे में

  • गोड्डा क्यों प्रसिद्ध है एशिया में 

  • गोड्डा(मां योगिनी शक्तिपीठ स्थल)                                       

         
          

      
 स्थापना                        25 मई 1983
अनुमंडलों की संख्या             2(गोड्डा, महगामा)
प्रखंडो की संख्या                9
विधानसभा क्षेत्रों की संख्या       3
लोकसभा संसदीय क्षेत्र            गोड्डा
कुल क्षेत्रफल                     2110.45
कुल जनसंख्या                    1313551

गोड्डा का इतिहास पूरी तरह जनजातियों से जुड़ा हुआ है यहां संस्थालों की संख्या सर्वाधिक है।

गोड्डा जिला खनिज संपदा से भरा हुआ है,यहां एशिया का प्रसिद्ध खुला कोयला खदान ललमटिया है। जिसके कोयले से दो ताप बिजलीघर कहलगांव व फरक्का संचालित होती है। 

           
ललमटिया कोयला खदान


गोड्डा जिला के मुख्यालय बाजार से सटे बाबू पाड़ा में अवस्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में पिछले 200 सालों से भी पहले से पूजा होती आ रही है।

सुंदर नदी पर 1976 में निर्मित सुंदर बांध जिले की एकमात्र सिंचाई परियोजना है यह एक भव्य पर्यटन स्थल है।
फ्रेंड रिकमैक्स मूलर द्वारा निर्मित मूलर टैंक जिले का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।

 पत्थरगामा प्रखंड में स्थित मां योगिनी मंदिर तंत्र साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तंत्र विद्या के साधक इस प्राचीन मंदिर को असम के कामाख्या मंदिर के समकक्ष मानते हैं। ऐतिहासिक और धार्मिक पुस्तकों के अनुसार द्वापरकालीन इस मंदिर में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के कई दिन यहां गुजारे थे, जिसकी चर्चा महाभारत में भी की गई है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पत्नी सती के अपमान से क्रोधित होकर भगवान शिव जब उनका जलता हुआ शरीर लेकर तांडव करने लगे थे, तो संसार को विध्वंस से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शव के कई टुकड़े कर दिए थे।इसी क्रम में उनकी बारी जांघ यहां गिरी थी। लेकिन इस सिद्ध स्थल को गुप्त रखा गया था ।विद्वानों का कहना है कि हमारे पुराणों में 51 सिद्ध पीठ का वर्णन है लेकिन योगिनी पुराण सिद्ध पीठों की संख्या 52 बताई है।

गोड्डा का राजा बसंतराय का जलाशय प्रसिद्ध है। यह जलाशय 50 एक कर में फैला हुआ है।ऐसा कहा जाता है कि इस जलाशय को कोई भी तैरकर नाव द्वारा अथवा हाथी द्वारा पार नहीं कर सकता।जो ऐसी कोशिश करता है उसे जलाशय अपने अंदर खींच लेता है यहां चेत्र सक्रांति के समय 14 अप्रैल से 15 दिनों का ऐतिहासिक विसुवा मेला लगता है।

नीमझर का मेला पोड़ैयाहाट प्रखंड के निमझर गांव में तालाब के किनारे लगता है यहां एक गर्म जल कुंड स्थित है मकर सक्रांति के दूसरे दिन यह मेला लगता है।

      
  


  

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