दुख मांजता है
किसी न किसी तरह के दर्द से मानव जीवन का सामना होता रहता है। दर्द का एक नियम है और वह यह है कि हर दर्द विकास की ओर ले जाता है और मंजिल तक पहुंचाता है। प्रसिद्ध दार्शनिक जॉन मैकडॉवेल कहते हैं।, 'हर एक समस्या इंसान का परिचय खुद से कराती है।' जब भी व्यक्ति का सामना किसी तकलीफ से होता है, तब वह खुद को अच्छी तरह जानने लगता है। दर्द पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया ही उसे आगे खड़े होने या पीछे रहने के लिए तैयार करती है। कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि उसे समस्याएं बहुत अच्छी लगती है समस्याएं उसके जीवन में आती रहे।पर कई व्यक्ति यह जरूर स्वीकार करेंगे कि दर्द के बीच उन्हें जीवन की सबसे बड़ी सफलता मिली।
जीवन उतार-चढ़ाव भरा होता ही है, लेकिन मानव स्वभाव केवल ऊपर उठना पसंद करता है ,यह संभव नहीं है। पक्षी की नियती उड़ान भरना है लेकिन जब वह उड़ना सिखता है तब बार-बार गिरता गिरता है। भिन्न-भिन्न रूपों से रूपों में कठिनाइयां हर किसी को मिलने ही है। और यह उसके अस्तित्व को बदल देते हैं। जीवन में घटने वाली ज्यादातर घटनाओं को नियंत्रित किया जाना असंभव है ।लेकिन उन पर होने वाली प्रतिक्रिया को परिपक्वता के साथ नियंत्रित किया जाना संभव है। दर्द के नियम को समझने के लिए दो बातों में दक्ष बनना पड़ता है। एक, दर्द भरे अनुभव की गहराई में जाकर उनमें अपने लिए सबक खोजने की कोशिश करना। दूसरी , खोजने के बाद "प्रोएक्टिव ' अंदाज में परिवर्तन करना। यह 2 तरीके आपके जीवन को सुखद बना देंगे।
रेनु सैनी
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