सादगी का महत्व

सादगी जीवन में सादगी का तात्पर्य है कि हमारा खान पान व रहन सहन सभी कुछ साधारण हो ।हमारी आवस्यकताएं एकदम सीमित हो।हम आवश्यकता से अधिक धन संग्रह कभी न करें। हम कम वस्तुओं में जीने की कला सीखे,ताकि सदा एक जैसा जीवन बीते । ना सुख में  इतराए ना दुख में घबराए। लेकिन सादगी के बावजूद हमारे विचार ऊंचे हो।

हमें सदा दूसरों के प्रति स्नेह और सद्भाव रखना,उनकी भलाई व सहायता करना तथा नर भिमानी होना चाहिए। सादा जीवन उच्च विचार के पालन से मनुष्य अपने साथ समाज को भी सुखी रखता है। सादा जीवन उच्च विचार जीवन जीने की सर्वोत्तम विधि है।

        


संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनका रहन-सहन एकदम साधारण रहा है। उन्होंने सांसारिक सुखों से स्वयं को सदैव दूर रखा है।

हमारे महापुरुषों में से महादेव गोविंद रानाडे एक है । बात उन दिनों की है जब वह विद्यार्थी थे। उनके मकान के ठीक सामने एक अमीर स्त्री रहती थी। उसने सुख काल में खूब मौज किया और धन की बर्बादी भी की। कुछ दिनों में वह करीब हो गई। उसे खूब कष्ट होने लगा। फलत: वाह रोज अपने आप को धिक्कारती  और स्वयं पर क्रोध करती। वह खीझकर कहती - "स्वादिष्ट पदार्थ खाते खाते जीभ की आदत बिगड़ गई है, अब तो सुखी रोटी भी नही मिलती। हाय! मैं क्या करूं? बिगड़ी जीभ मानती ही नहीं।

रानाडे प्रतिदिन प्रतिदिन उस स्त्री की खीज भरी बातें सुनता सुना करते थे। उन्हें इस घटना से अनुभव हुआ कि समय सदा एक सा नहीं रहता जीवन में कभी सुख होता है तो कभी दुख। इसलिए मनुष्य को सादा जीवन जीने की आदत डालनी चाहिए। सादा भोजन करना चाहिए तथा सादा वस्त्र पहने चाहिए। कहां गया है ' तेते पांव पसारिए जेती लंबी सौर'। ऐसा करने वाले सदा सुखी रहते हैं विद्यार्थी जीवन से ही रानाडे ने सादा जीवन अपना लिया था।

बाद में रानाडे पर लिखकर जब न्यायाधीश हुए तब भी उन्होंने सादा जीवन ही जिया। एक दिन उनके यहां एक आदमी कुछ आम दे गया। उनकी पत्नी ने आम के कई टुकड़े काटकर उनके सामने रखे। राणा ने उनमें से सिर्फ एक आम का टुकड़ा खाया और कहा आम बहुत मीठे हैं। यह सुनकर उनकी पत्नी ने और आम खाने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा -" समय सदा एक सा नहीं रहता,इसलिए जीभ की आदत न बिगड़े तो ही अच्छा है। यदि इसकी आदत बिगड़ गई तो इसका सुधारना बड़ा कठिन होगा।"

रानाडे के इन्हीं गुणों ने उन्हें उन्नती के सर्वोच शिखर पर पहुंचाया।सफल , सुखद और सार्थक जीवन की उपलब्धि का सबसे अच्छा मार्ग है  -  `जीवन में सादगी और ऊंचे विचार।गांधीजी , रानाडे,लाल बहादुर शास्त्री,मदन मोहन मालवीय सदृश हमारे अनेक महापुरुष जीवन में अपने आदर्श विचारों को निभाते रहे; लेकिन उनका जीवन अति सादगीपूर्ण रहा।

सीख:

सादा जीवन और उच्च विचार ही महापुरुषों का सिद्धांत रहा है। हमें भी इस सिद्धान्त को अपने जीवन में उतारना चाहिए।


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