नज़रिए का महत्व

 एक आदमी मेले में गुब्बारे बेचकर गुजर बसर करता था। उसके पास लाल,नीले ,पीले ,हरे ,और इसके अलावा कई रंगों के गुब्बारे थे।जब उसकी बिक्री कम होने लगती तो वह हिलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता।  जब बच्चे उस उस उड़ते गुब्बारे को देखते तो वैसा ही गुब्बारा पाने के लिए आतुर हो उठते। वह उसके पास गुब्बारे खरीदने पहुंच जाते और उस आदमी की बिक्री फिर से बढ़ने लगती।  उस आदमी की बिक्री जब भी घटती वह उसे बढ़ाने के लिए गुब्बारे उड़ाने का यही तरीका अपनाता। 1 दिन गुब्बारे वाले को महसूस हुआ कि कोई उसके जैकेट खींच रहा है, उसने पलट कर देखा तो वहां एक बच्चा खड़ा था। बच्चे ने उनसे पूछा, " अगर आप हवा में किसी काले गुब्बारे को छोड़ें, तो क्या वह भी उड़ेगा?" बच्चे के इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया बच्चे की ओर मुड़ कर उसने जवाब दिया, "बेटे गुब्बारे अपने रंग की वजह से नहीं बल्कि इसके अंदर भरी चीज की वजह से उड़ता है।"

   


[हमारी जिंदगी भी में भी यही उसूल लागू होता है । अहम चीज हमारी अंदरूनी शख्सियत हैं , हमारी अंदरूनी शख्सियत की वजह से  हमारा जो नजरिया बनता है वही हमें ऊपर उठाता है।]

                    

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