पश्चिमी सिंहभूम
पश्चिमी सिंहभूम
(झारखंड की रत्नगर्भा)
स्थापना वर्ष --- 16 जनवरी 1990
अवस्थिति --- झारखण्ड राज्य के दक्षिण भाग में
- सीमाएं --- पूर्व में सरायकेला - खरसावाँ,पश्चिम में सिमडेगा,उत्तर में खूंटी, दक्षिण में उड़ीसा
- समुद्र तल से ऊंचाई --- 244 मीटर (800 फीट)
- कुल क्षेत्रफल --- 5351.41 वर्ग किलोमीटर
- कुल जनसंख्या ---- 1502338
- पुरुष जनसंख्या ---- 749385
- महिला जनसंख्या ---- 752953
- नगरीय आबादी ---- 218034
- नगरीय आबादी का प्रतिशत ---- 14.51
- ग्रामीण आबादी ---- 1284304
- ग्रामीण आबादी का प्रतिशत ----- 85.49
- अनुसूचित जनजाति की संख्या ----- 1011296
- कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत ------ 67.31
- अनुसूचित जाति की संख्या ------ 56986
- कुल जनसंख्या में अनूसचित जाती का प्रतिशत ----- 3.79
- लिंगानुपात ---- 1005 महिला/1000पुरुष
- बाल लिंगानुपात ---- 983
- जनसंख्या घनत्व ---- 208
- साक्षरता दर --- 58.63%
- पुरूष साक्षरता दर ------ 71.13%
- महिला साक्षरता दर ----- 46.25%
- वाहन निबंधन संख्या ---- JH 06
- अनुमंडलों की संख्या ----- 3 ( सिहभूम सदर, पोड़ैयाहाट, जगन्नाथपुर)
- जिला निर्माण के समय प्रखंडों की संख्या ---- 23
- वर्तमान समय में प्रखंडों की संख्या ---- 18( गुदड़ी,बंदगांव, चक्रधरपुर, सोनुवा, मोइलकेरा,आनंदपुर,मोहनपुर, नोवामुंडी, टोंटो,खुंटपानी, चाईबासा सदर,झिंकपानी, तातनगर,मंझारी, हाटगम्हरिया,जगन्नाथपुर, कुमारडूगी,मंझगांव)
- विधानसभा क्षेत्रों की संख्या ---- 5 ( चक्रधरपुर,जगन्नाथपुर,मनोहरपुर,चाईबासा,मंझगांव)
- लोकसभा संसदीय क्षेत्र ----- 1( सिंहभूम)
- प्रमुख नदियां ---- कोयल,करो कोईना, खरकई,संजय रोरो, देव बैतरनी
- ऐतिहासिक स्मारक ---- कोटगढ़, बेनीसागर
- प्रमुख धार्मिक स्थान ----- मुर्गा बाबा, राम तीर्थ, मां रांकनी, सेरेंगदा (विस्व कल्याण आश्रम)
- पर्यटन स्थल ---- सारंडा वन, हिरणी जलप्रपात, लुनपुगुटू झरना
- प्रमुख जनजातियां ---- हो,मुंडा, संथाल,उरांव,गोंड, भूमिज
- प्रमुख उद्योग ------ तसर उद्योग, लकड़ी उद्योग,ACC सीमेंट
महत्वपूर्ण तथ्य :-
- पश्चिमी सिंहभूम जिले के रूप में 1990 में अस्तित्व में आया जब सरकार ने तत्कालीन सिंहभूम जिले को दो हिस्से में बांट दिया,इसका नाम सिंहभूम यहां के सिंह देव परिवार के राज्य संचालन के कारण पड़ा है। दूसरा कारण इस क्षेत्र को सिंहभूम के जाने का है कि यहां पर सिंह बोंगा नाम की जनजाति निवास करती थी और सबसे बड़ा कारण आज भी है, यहां के जंगलों में से विचरण क्या करते हैं।
- सारंडा के घने जंगल पश्चिम सिंहभूम में स्थित है। यह "700 पहाड़ों का घर"है। यह भव्य साल वन है। सारंडा वन एशिया का सबसे बड़ा और घना वन है जिसमें फ्लाइंग छिपकली रेंगने वाला कीड़ा पाया जाता है। यह माना जाता है कि इसके कुछ हिस्से इतने घने है कि सूर्य के प्रकाश भी पार नहीं कर सकते है। यह वन शासक परिस्थितिकी उत्साही यात्री के लिए बड़े आनंद की जगह है।
- सारंडा के सघन जंगलों के बीच स्थित 121 फीट की ऊंचाई से गिरती हिरनी जलप्रपात की रूमानी जलधारा कुदरत के खूबसूरत नजारे का एक अद्भुत उदाहरण है।
- चाईबासा शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित लुपंगुटू गांव में एक छोटा सा झरना स्थित है जो औषधीय गुणों से युक्त है।
- मुर्गा महादेव का नामकरण भगवान मुरूगन और महादेव के नाम पर हुआ है मंदिर परिसर में ऊपर से गिरने वाला झरना इस मंदिर की सुंदरता को और अनुपम बनाता है।
- बेनीसागर का नाम राजा बेनी के नाम पर पड़ा है। यह जगह पुरातात्विक खोजों की वजह से मशहूर है प्रसिद्ध खिचिंग मंदिर भी इसी से संबंधित है।
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