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जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पूर्वी शिहभूम (धाल राजाओं की भूमि)

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 धाल राजाओं की भूमि,अंग्रेजों का प्रवेश  द्वार(पूर्वी सिंहभूम)           स्थापना          16 जनवरी 1990 मुख्यालय        जमशेदपुर            कुल क्षेत्रफल        3533 वर्ग किलोमीटर कुल जनसंख्या      2293919 वाहन निबंधन संख्या      JH-05 अनुमंडलों की संख्या       2 (धाल भूम,घाटशिला) वर्तमान समय में अनुमंडलों की संख्या    11 (बोडाम,पटमदा,गोलमुरी, सह जुगसलाई,पोटका,घाटशिला, मुसाबनी,डुमरिया, गुडा बांदा,धाल भूमगड़, चाकुलिया,बहरागोड़ा) विधान सभा क्षेत्रों की संख्या    6 (घाटशिला,पोटका, बहरागोड़ा,जुगसलाई,पूर्वी जमशेद,पश्चिमी जमशेद) लोकसभा संसदीय क्षेत्र         1(जमशेदपुर)

2022 में बढ़ेगी work from Home.

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  साल 2022 तक एक तिहाई कर्मचारी घर से करेंगे काम कोरोना महामारी ने वर्क फ्रॉम होम संस्कृति को जन्म दिया है। इसका फायदा दुनिया भर की कंपनियों और कर्मचारियों को हुआ है। रिसर्च फर्म गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार,अगले साल यानी 2022 तक एक तिहाई कर्मचारी घर से ही काम करेंगे।                                      रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 में 51 फीसदी कर्मचारी घर या आउट स्टेशन से काम करेंगे जबकि 2019 में यह आंकड़ा 27 फ़ीसदी ही था।              

गढ़वा (मां गढ़देवी की नगरी)

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                      स्थापना वर्ष  - 1 अप्रैल 1991      मुख्यालय    - गढ़वा      कुल क्षेत्रफल  -  4044 वर्ग किलोमीटर      कुल जनसंख्या  -  1322784      वाहन निबंधन संख्या  -   JH- 14      अनुमंडलों की संख्या   -  3 (गढ़वा,नगर उठारी, रंका)      जिला निर्माण के समय प्रखंडों की संख्या  -   8      वर्तमान समय में प्रखंडों की संख्या    -.     20       (खरौंधी,केतार, भवनाथपुर,बरडीहा, बिशनपुरा,नगर उंटारी संगमा,धुरकी,डंडई,चिनिया,मेराल,गढ़वा,डंडा,रमकंडा,भंडरिया, बढ़गढ़,) विधानसभा क्षेत्रों की संख्या - 2(गढ़वा,भवनाथपुर) लोकसभा संसदीय क्षेत्र   -   1(पलामू)

दुख मांजता है

 किसी न किसी तरह के दर्द से मानव जीवन का सामना होता रहता है। दर्द का एक नियम है और वह यह है कि हर दर्द विकास की ओर ले जाता है और मंजिल तक पहुंचाता है। प्रसिद्ध दार्शनिक जॉन मैकडॉवेल कहते हैं।, 'हर एक समस्या इंसान का परिचय खुद से कराती है।' जब भी व्यक्ति का सामना किसी तकलीफ से होता है, तब वह खुद को अच्छी तरह जानने लगता है। दर्द पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया ही उसे आगे खड़े होने या पीछे रहने के लिए तैयार करती है। कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि उसे समस्याएं बहुत अच्छी लगती है समस्याएं उसके जीवन में आती रहे।पर कई व्यक्ति यह जरूर स्वीकार करेंगे कि दर्द के बीच उन्हें जीवन की सबसे बड़ी सफलता मिली। जीवन उतार-चढ़ाव भरा होता ही है, लेकिन मानव स्वभाव  केवल ऊपर उठना पसंद करता है ,यह संभव नहीं है। पक्षी की नियती उड़ान भरना है लेकिन जब वह उड़ना सिखता है तब बार-बार गिरता गिरता है‌। भिन्न-भिन्न रूपों से रूपों में कठिनाइयां हर किसी को मिलने ही है। और यह उसके अस्तित्व को बदल देते हैं। जीवन में घटने वाली ज्यादातर घटनाओं को नियंत्रित किया जाना असंभव है ।लेकिन उन पर होने वाली प्रतिक्रिया को परिपक्वता

भगवान और शैतान

 एक कहावत बहुत प्रचलित है - 'शैतान को याद करो और शैतान हाजिर।'सोचने वाली बात यह है, भगवान को याद करो और भगवान हाजिर।' यह कहावत क्यों नहीं बनी? तो क्या शैतान भगवान से अधिक शक्तिशाली और दयालु है? कदापि नहीं। मुझे लगता है, इस सूत्र में महत्व शैतान का की शक्ति का नहीं बल्कि हमारी सिद्दत का है। जिस शिद्दत से हम शैतान को याद करते हैं, क्या उतनी ही प्रबलता से हम भगवान को याद करते हैं ।यदि करें तो मुझे विश्वास है कि भगवान भी तत्काल उपस्थित हो जाएंगे, क्योंकि परमात्मा तो हाजिर है, ही वह सदैव वर्तमान है। होता यह है कि हम भगवान को याद ही तब करते हैं, जब हमें भगवान से भगवान नहीं, उनकी शक्ति चाहिए होती है। उनको याद करके हम उनसे शैतानों वाले काम करवाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि या तो वह हमें अपनी शक्ति दे दे जिससे हम सामने वाले का सर्वनाश कर सके यह वह हमें बचाते हुए खुद ही सामने वाले को मिटा दे। हम उनकी शक्ति के  सृजन के लिए नहीं संहार के लिए चाहते हैं,जिसके लिए भगवान राजी नहीं होते क्योंकि वह मिटाने में नहीं जमाने - बनाने में विश्वास करते हैं। हमें यह स्मरण रखना होगा कि वह भगवान है संत

देवघर (बाबा नगरी)

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                     स्थापना वर्ष     -  1जून 1983 कुल जनसंख्या  -   775022 कुल क्षेत्रफल     -  2479वर्ग किलोमीटर वाहन निबंधन संख्या   -   JH- 15 अनुमंडलों की संख्या   - 2 (देवघर, मधुपुर) प्रखंडों की संख्या    - 10(देवघर  मोहनपुर, सरवा, सोनाराय                                    ठाडी, देवीपुर, मधुपुर, मार्गो मुंडा,                                                    करों,सारठ, पालोजोरी) विधानसभा क्षेत्रों की संख्या      -   3( मधुपुर,सारठ,देवघर) लोकसभा संसदीय क्षेत्र             2 महत्वपूर्ण तथ्य 1 जून 1983 को संथाल परगना जिले से देवघर विभाजन को अलग करके एक जिले का गठन किया गया था। देवघर शब्द का निर्माण देव + घर से हुआ है। यहां देव का अर्थ देवी देवताओं से है और घर का अर्थ निवास स्थान से है। देवघर"बैद्यनाथ धाम","बाबा धाम"आदि नामों से जाना जाता है। देवघर शहर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। शिव पुराण में देवघर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यहां भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। हर सावन में यहां लाखों शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के

दुमका (बाबा बासुकीनाथ की नगरी)

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दुमका                             स्थापना वर्ष                     -    1855 ई. कुल क्षेत्रफल                     -     3716.02 वर्ग किलोमीटर कुल जनसंख्या                   -     1321442 अनुमंडलों की संख्या            -      1(दुमका सदर) प्रखंडों की संख्या                 -       10 विधानसभा क्षेत्रों की संख्या    -      4 लोकसभा संसदीय क्षेत्र         -        1 वाहन निबंधन संख्या           -        JH - 04 दुमका के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: - प्राचीन इतिहास - इस जिले के प्राचीन निवासी पहाड़िया लोग थे। ग्रीक यात्री मेगास्थनीज ने इन्हें माली नाम से संबोधित किया। 1539 में चौसा के युद्ध के शेरशाह सूरी की जीत के बाद यह क्षेत्र अफ़गानों के कब्जे में आ गया, लेकिन जब हुसैन कुली खान ने बंगाल पर जीत हासिल की तो यह क्षेत्र मुगल सम्राट अकबर के प्रभुत्व में आ गया। दुमका को भागलपुर संभाग के अंतर्गत 1775 ई. में शामिल किया गया था। 1855 ईस्वी में दुमका को स्वतंत्र जिला बनाया गया तथा 1872 ईसवी में दुमका को संथाल परगना का मुख्यालय बनाया गया। 1983 ईस्वी में दुमका को संथाल परगना का डिविजनल मुख्यालय

जामताड़ा(सॉंपों का घर)

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           स्थापना   -    26 अप्रैल 2001       कुल क्षेत्रफल      --   1802 वर्ग किलोमीटर      कुल जनसंख्या    -     791042     अनुमंडल की संख्या   -  1(जामताड़ा)   प्रखंडों की संख्या    -       6   विधानसभा क्षेत्रों की संख्या   -  2(नाला, जामताड़ा)  लोकसभा सभा संसदीय क्षेत्र   -  1(दुमका)    जामताड़ा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य :- 26 अप्रैल 2001 ई. को दुमका जिले से अलग होकर जामताड़ा जिले का निर्माण हुआ। इसके पहले जामताड़ा एक उपमंडल था और हेमतपुर राज और वर्धमान  महाराजा धीरज के समय में यह वर्तमान के पश्चिम बंगाल के बीरभूम का भाग था। सांपों का घर जामताड़ा झारखंड में स्थित है। जामताड़ा नाम जामा और ताड़ शब्द से मिलकर बना है। जामा का संथाली भाषा में अर्थ होता है सांप और ताड़ का अर्थ होता है आवास। इसका यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि यहां पर सांप बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। सांपों के घर के अलावा जामताड़ा को बॉक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है यह खदानें जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यहां पर्वत विहार पार्क है‌। यह जामताड़ा रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत विहार पार्क स्

जानिए गोड्डा के बारे में

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गोड्डा क्यों प्रसिद्ध है एशिया में   गोड्डा(मां योगिनी शक्तिपीठ स्थल)                                                                     स्थापना                        25 मई 1983 अनुमंडलों की संख्या             2(गोड्डा, महगामा) प्रखंडो की संख्या                9 विधानसभा क्षेत्रों की संख्या       3 लोकसभा संसदीय क्षेत्र            गोड्डा कुल क्षेत्रफल                     2110.45 कुल जनसंख्या                    1313551 गोड्डा का इतिहास पूरी तरह जनजातियों से जुड़ा हुआ है यहां संस्थालों की संख्या सर्वाधिक है। गोड्डा जिला खनिज संपदा से भरा हुआ है,यहां एशिया का प्रसिद्ध खुला कोयला खदान ललमटिया है। जिसके कोयले से दो ताप बिजलीघर कहलगांव व फरक्का संचालित होती है।              ललमटिया कोयला खदान गोड्डा जिला के मुख्यालय बाजार से सटे बाबू पाड़ा में अवस्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में पिछले 200 सालों से भी पहले से पूजा होती आ रही है। सुंदर नदी पर 1976 में निर्मित सुंदर बांध जिले की एकमात्र सिंचाई परियोजना है यह एक भव्य पर्यटन स्थल है। फ्रेंड रिकमैक्स मूलर द्वारा निर्मित मूलर टैंक जिले का एक महत्वपूर्ण

पलामू (झारखंड का जैसलमेर)

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 पलामू के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:                            राजा मोदीनी राय का किला             एक किवदंती के अनुसार यहां ठंड के दिन में अधिक पाला गिरने के कारण पशु पक्षी तथा मानव अधिक संख्या में मर जाते थे जिसके कारण लोगों ने इसे पलामु कहा कुछ ने इसे "पाला का घर" कहा। एक अन्य मत के अनुसार पलामू पलायनवादियों को शरण देने वाला स्थान है अतः इसका नामकरण पलामू हुआ है।  आधुनिक मतों के अनुसार पलास,लाह तथा महुआ की अधिकता के कारण इसे प ला मु का नाम दिया गया है। 1800ई. में पलामू में भूखंन सिंह के नेतृत्व में चेरो विद्रोह हुआ था। पलामू जिले का मुख्यालय डाल्टनगंज है इसका नामकरण अब चेरो राजा मोदीनी राय के नाम पर मोदीनगर कर दिया गया है। नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय जिसकी स्थापना सन 2009 में हुई थी पलामू जिले के मोदीनीनगर में स्थित है। 1857 के विद्रोह में नीलांबर तथा पितांबर ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई। ग्रेफाइट के उत्पादन में पलामू राज्य का अग्रणी जिला है। झारखंड राज्य में पलामु  सर्वाधिक पपीते तथा मक्के का उत्पादक है। कुंड जलप्रपात पलामू के हुसैनाबाद में स्थित है पलामू जि

साहेबगंज( बंगाल का प्रवेश द्वार)

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 साहिबगंज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य। साहिबगंज की स्थापना 17 मई 1983 ईस्वी में हुआ था। साहिबगंज की कुल जनसंख्या 1150567 है। पूर्व में साहिबगंज में तीन अनुमंडल थे परंतु 1994 ई. में पाकुड़ अनुमंडल को अलग जिले के रूप में मान्यता दे दी गई। यह झारखंड राज्य का एकमात्र जिला है जहां गंगा नदी प्रवाहित होती है। संथाल हूल के नायक अमर शहीद सिदो कान्हु की जन्मस्थली बरहेट प्रखंड स्थित भोगनाडीह साहिबगंज जिले में स्थित है। प्रत्येक वर्ष 30 जून को यहां हूल दिवस का आयोजन किया जाता है। उधवा झील पक्षी आश्रयणी  झारखंड और बिहार में अवस्थित एकमात्र पक्षी आश्रयणी है जिसे 1991 में झील पक्षी आश्रयणी घोषित किया गया। यह साहिबगंज शहर से 42 किलोमीटर दूर है तथा 5.6 5 1 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। मध्य एशिया से दिसंबर और मार्च के महीने में कई प्रवासी पक्षी आते हैं जो कि यहां की छटा में चार चांद लगा देती है। मुख्य रूप से स्पू्नबिल, एकरेट, जगाना, किंगफिशर, गोल्डन आरियों ,बैकटैल, हेरोइन और स्ट्रोक जैसी प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ बत्तख और कोरमोंनेंस काफी संख्या में यहां देखे जा सकते हैं ।यहां जल स्तर पर

नज़रिए का महत्व

 एक आदमी मेले में गुब्बारे बेचकर गुजर बसर करता था। उसके पास लाल,नीले ,पीले ,हरे ,और इसके अलावा कई रंगों के गुब्बारे थे।जब उसकी बिक्री कम होने लगती तो वह हिलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता।  जब बच्चे उस उस उड़ते गुब्बारे को देखते तो वैसा ही गुब्बारा पाने के लिए आतुर हो उठते। वह उसके पास गुब्बारे खरीदने पहुंच जाते और उस आदमी की बिक्री फिर से बढ़ने लगती।  उस आदमी की बिक्री जब भी घटती वह उसे बढ़ाने के लिए गुब्बारे उड़ाने का यही तरीका अपनाता। 1 दिन गुब्बारे वाले को महसूस हुआ कि कोई उसके जैकेट खींच रहा है, उसने पलट कर देखा तो वहां एक बच्चा खड़ा था। बच्चे ने उनसे पूछा, " अगर आप हवा में किसी काले गुब्बारे को छोड़ें, तो क्या वह भी उड़ेगा?" बच्चे के इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया बच्चे की ओर मुड़ कर उसने जवाब दिया, "बेटे गुब्बारे अपने रंग की वजह से नहीं बल्कि इसके अंदर भरी चीज की वजह से उड़ता है।"     [हमारी जिंदगी भी में भी यही उसूल लागू होता है । अहम चीज हमारी अंदरूनी शख्सियत हैं , हमारी अंदरूनी शख्सियत की वजह से  हमारा जो नजरिया बनता है वही हमें ऊपर

दूरदर्शी

 एक आदमी सोना तोलने के लिए सुनार के पास तराजू मांगने आया। सुनार ने कहा ," मियां अपना रास्ता लो"। मेरे पास छलनी नहीं है।  उसने कहा," मजाक ना करो भाई" मुझे तराजू चाहिए। सुनार ने कहा," मेरी दुकान में झाड़ू नहीं है।" उसने कहा," मस्करी को छोड़ दे,मैं तराजू मांगने आया हूं वह दे दे और बहरा बनकर उटपटांग बातें न कर।" सुनार ने जवाब दिया," हजरत मैंने तुम्हारी बात सुन ली थी,मैं बहरा नहीं हूं। तुम यह मत समझो कि मैं गोलमाल कर रहा हूं।  तुम बुढ़े आदमी सूखकर कांटा हो रहे हो, सारा शरीर कापता है। तुम्हारा सोना भी कुछ बुरादा है और कुछ चुरा है इसलिए तोलते समय तुम्हारा हाथ कापेगा और सोना गिर पड़ेगा तो तुम फिर आओगे कि भाई ,जरा झाड़ू तो देना ताकि मैं सोना इकट्ठा कर लुं और जब बहार कर मिट्टी और सोना इकट्ठा कर लोगे तो फिर कहोगे कि मुझे छलनी चाहिए ताकि खाक को सोना से अलग कर दुं । हमारी दुकान में छलनी कहां? मैंने पहले ही तुम्हारे काम के अंतिम परिणाम को देख कर कहा था कि तुम किसी दूसरी जगह से तराजू मांग लो।" [जो मनुष्य केवल काम के प्रारंभ को देखता है वह अंधा है। जो

बिना सोचे समझे दोस्ती

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चूहे और मेढ़क की दोस्ती एक दिन एक चूहा एक नदी के किनारे खेलकूद में मशगुल था। कि तभी उसने एक मेंढक को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर हैरत में पड़ गए।चूहा जो की सूखी जमीन पर रहने का आदी था पानी के अंदर रहने वाले जीवो के बारे में जानने को बहुत उत्सुक था। दूसरी तरफ मेंढक भी जानना चाहता था कि जंगल में रहने वाले इस जानवर की जिंदगी कैसी होती है। दोनों ने तय किया कि क्यों ना हर दिन कम से कम एक घंटा नदी के किनारे बैठ कर एक दूसरे की जिंदगी के हालात मालूम करें और इस तरह दोनों हर रोज एक घंटा नदी किनारे मिलने लगे और अपनीअपनी जिंदगी की कहानी सुनाने लगे और यह मुलाकातें गहरी दोस्ती में बदल गई ।अब हर दिन मैं बस 1 घंटे की मुलाकातें उनके लिए काफी नहीं होती थी। इसलिए 1 दिन चूहे ने अपने दोस्त से कहा कि तुम पानी के अंदर रहते हो और मैं तुम्हें जमीन से पुकारता रहता हूं। इस पर मेंढक ने कहा कि "चलो ठीक है हम सुबह की मुलाकात का वक्त भी बढ़ा देते हैं"। लेकिन चूहा इस पर संतुष्ट ना हुआ, उसने कहा कि सुबह की मुलाकात भी अब छोटी लगने लगी है, मैं तुम्हारे और पानी के अंदर की दुनिया के बारे में बहुत ही कम जान पा